क्या कहती , प्रेम रागनी बूंदो की
आओ चलें मीत,
सरस हम भी होलें
हौले से खोलें,
झरोखे ह्रदय के ,
मेघों की बून्दे,
कुछ,
उनमें संजो लें ၊
हौले से खोलें,
झरोखे ह्रदय के ,
मेघों की बून्दे,
कुछ,
उनमें संजो लें ၊
घिरे तो गगन पे
हैं , मानस को घेरे
लरजते , गरजते
पुकारें, बदन को ၊
हैं , मानस को घेरे
लरजते , गरजते
पुकारें, बदन को ၊
आओ जरा संग
उनके बिताएं
बून्दों को उनकी
बदन से लगायें,
उनके बिताएं
बून्दों को उनकी
बदन से लगायें,
मद से भरी हैं
सुधा सी हैं बूंदे,
सराबोर हो कर
बहक थोड़ा जायें ၊
सराबोर हो कर
बहक थोड़ा जायें ၊
तनिक गेह अपनी
मुझसे सटा लो
तनिक देर लज्जा
खुद से हटा लो ၊
मुझसे सटा लो
तनिक देर लज्जा
खुद से हटा लो ၊
लरजते , हरसते
बहकते चलें हम,
बदरा के संगी
संग संग बहे हम ၊
बहकते चलें हम,
बदरा के संगी
संग संग बहे हम ၊
बहको जरा तुम
बूंदो सी रिमझिम,
बहकें जरा हम
पवमान बन कर ၊
बूंदो सी रिमझिम,
बहकें जरा हम
पवमान बन कर ၊
ह्रदय एक कर लें
बदन एक कर लें
जल-मेघ जैसे
मति एक कर लें।
बदन एक कर लें
जल-मेघ जैसे
मति एक कर लें।
हों, बाहों में बाहें
निगाहों में निगाहें
चपला सी चमको
हम झूम जायें ၊
निगाहों में निगाहें
चपला सी चमको
हम झूम जायें ၊
बज रहें हैं देखो
हजारों नगाड़े ,
दामिनी भी चमक
कर रही है इसारे ၊
दामिनी भी चमक
कर रही है इसारे ၊
चलो आज फिर से
नया गात कर लें
नव प्रेम की फिर
शुरुआत कर लें ၊
नया गात कर लें
नव प्रेम की फिर
शुरुआत कर लें ၊
उमेश , दिनांक ०७.०७.२०१९ , इन्दौर ० ०
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