रूबाई
गम-ए-दिल को गमजदा गमख्वार चाहिए ,
गमगीनियों की गली में ग़जरा-ए-गुलनार चाहिए ,
तकदीर कोई सै नही राहे गमगीनियां ,
सबा के झोंके सी, बस इक नई बयार चाहिए ၊
........................ उमेश , १७.९.१९
गमगीनियों की गली में ग़जरा-ए-गुलनार चाहिए ,
तकदीर कोई सै नही राहे गमगीनियां ,
सबा के झोंके सी, बस इक नई बयार चाहिए ၊
........................ उमेश , १७.९.१९
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें