नव वर्ष "अभिनंदन"
प्रज्जवलता की आभा में ले शीतलता का चंदन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
पर्वत शिखरों से फिसल रही शान्त प्रकृति पर बिखर रही
कल- कल करती सरिता पर चमक रही ये बन कुंदन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
नवीन काल की नव चेतना दे रही आज ये रश्मि तरंग
उमड़ रही है नव जागृति, संतृप्त न होती है चिंतन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
बार बार अलि भाग रहा नव युग के नव वितान में
पा अनच्छुई कलियाँ का स्पर्श , हो रहा अत्यंत हर्ष
औ ग़ूढ हो रहा मन चिंतन ,
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
उमेश कुमार श्रीवास्तव
प्रज्जवलता की आभा में ले शीतलता का चंदन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
पर्वत शिखरों से फिसल रही शान्त प्रकृति पर बिखर रही
कल- कल करती सरिता पर चमक रही ये बन कुंदन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
नवीन काल की नव चेतना दे रही आज ये रश्मि तरंग
उमड़ रही है नव जागृति, संतृप्त न होती है चिंतन
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
बार बार अलि भाग रहा नव युग के नव वितान में
पा अनच्छुई कलियाँ का स्पर्श , हो रहा अत्यंत हर्ष
औ ग़ूढ हो रहा मन चिंतन ,
नये वर्ष की शुभ्र रश्मियाँ, करती सब का "अभिनंदन"
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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