आज धरा पर आई अपनी नातिन को समर्पित
तेजोमय ,रूप है उसका
तेजस उसकी काया
आज धरा पर धरी कदम है
माँ शारद की छाया
रूप निरख कर है आनन्दित
आत्म धरा का हर कण
सप्त सुरों की बरखा से
भीग रहा है तन मन
सुरश्मि तनया की काया मे
माँ स्वयंम् धरा पर आई
तमस घिरे अंध पथ से
तिमिर मिटाने आई
हरिन्द्रा के वंशज सब
आज खुशी से झूमे
श्यामा-दिनेश के कुटुम्ब में
सुरश्मिप्रभा है घूमे
चंचल चंचल अपने नयनो से
नयनाभिराम सब कर दो
सबके उर मे उतरी तुम जब
उमंग उझासभर दो
उमेश कुमार श्रीवास्तवा १६.०९.२०१५