चन्द शेर
अधरो
से छिपाया दर्द तो नयनों ने
कह दिया
पलके
जो बन्द की मैनें चेहरे ने
बयां किया ।
**
उमेश
**
अय
चांद इक बार जरा धरती पर आ
जा
खुद ब खुद औकात तेरी तुझको पता चल जायेगी I
**उमेश **
खुद ब खुद औकात तेरी तुझको पता चल जायेगी I
**उमेश **
अय चांद ना मुस्करा जलन पे मेरे
तू भी कभी जला होगा दाग कहते हैं तेरे
अय
चांद तेरे दाग से क्या वास्ता
तपते हुए तन को चांदनी काफी है ।
**उमेश**
तपते हुए तन को चांदनी काफी है ।
**उमेश**
अय
चाँद तुझे देख हसरत जगी छूने
की
पर फिर अहसास जगा कि तू कहां औ मैं क्रहां
**उमेश **
पर फिर अहसास जगा कि तू कहां औ मैं क्रहां
**उमेश **
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