मैने देखा है
मैने देखा है , ईश्वर को
मैने देखा है , ईश्वर को
देव , गन्धर्व , सुर असुरों को
मैने देखा है , ईश्वर को ၊
स्वेत , हरित , नील व खाकी
वसनों को धारण कर
अथक ऊर्जा के श्रोत बने
नित कल्याण भाव का
वरण किये ,
निःस्वार्थ भटकते,
हाथ जोड़
व कभी-कभी
आक्रोश झलकाती वाणी से ၊
सदगति का मार्ग बताते
अनुशासन में रहने को ၊
शुभ-त्राण, कल्याण हेतु
यदि अनिवार्य बने,
हिय पीड़ा भर
निभा रहे , स्व-जन पर ही
कि, हम रहे सुरक्षित
अृदष्य शत्रु से , जो
हर रहा प्राण है अपनों का ၊
स्पन्दनहीन नही ये,
ना ही एकाकी,
अजर अमर नहीं ये,
इनके भी हैं स्व संगी साथी,
पर
हम सब हेतु प्राण रखे
अपने कर में,
दे रहे अभय की राह
स्व - कुटुम्ब को
त्याग अपने ही घर में ၊
ये नायक हैं
अधिनायक हैं
ईश हमारे
देव तुल्य वंदनीय
ये गन्धर्व हमारे ၊
किंचित इनके बलिदानों का
ध्यान धरो,
पर हित में जूझ रहे
इन कर्त्तव्य पथिकों की
कर्म व वाणी का,
सम्मान करो ၊
ये देवदूत हैं
ईश बने, हैं, रोक रहे
राष्ट्र प्राण के आगे
अपने तन को झोंक रहे ၊
जन जन के प्राणों की चिन्ता में
ना सोते हैं,
स्व पीड़ा सह,
पर पीड़ा में रोते हैं ၊
पुनः नही आयेगा
जीवन में यह अवसर
पुनः नही जागेगा
ऐसा सौभाग्य तुम्हारा
मानव तन में सम्मुख तेरे
है ईश खड़ा ,
रक्षा को तेरी हाथ जोड़
जगदीश खड़ा,
मान ले बात, तू भी
दर्शन कर ले,
बात मान कर इनकी,
प्राण से झोली भर ले ၊
उमेश कुमार श्रीवास्तव
इन्दौर , दिनांक २२.०४.२०
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