दिनांक 14.07.2023
उमंग कोपलें साथ लिये
आओगे मधुमास संग ले
मकरंद मधुर कुछ खास लिये ।
स्वर लहरी की मधुर रागनी
कर्णपटल पर आ मुस्काई
रिमझिम रिमझिम रुनझुन रुनझुन
ज्यूं पावस ने मृदंग बजाई ।
हृदय द्वार पर बैठा पपिहा
ताके स्वाती बून्द एक बस
तर तन सारा मन झूर है
देख दामिनी भी मुस्काई ।
शीत लहर ले पवन बावली
आई अंतस दाह मिटाने
स्वास प्रश्वास की ज्वाला में
अश्रुनीर बन लगी जलाने ।
विरह योग सुख-दुःख का है
तभी ताकता है यह जीवन
यदि दुःख होता सुख ना होता
हठ में पड़ता क्यूं यह जीवन ।
सुख हो दुःख हो या हो दोनो
आश दरस की कभी मिटे ना
हूं बैठा यूं पाषाण मूर्ति सम
झलक तेरी, ये, दृग चूकें ना ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिनांक १४ .०७ . २०२३
राजभवन
. भोपाल
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