शुक्रवार, 26 जुलाई 2024

मनु वशंजों की कहानियां
अब आकर्षक नही लगती
जानवरों, तितलियाँ, चिड़ियाँ की कहानियों में 
और हां, पर्वतों , नदियों , नदियों के जलचरों
वनों, पेड़ - पौधों , बगीचो की कहानियों में
जीवित है अब भी आकर्षण । 

लोभ, मोह,  द्वेष, क्रोध, स्वार्थ
के अपने मूल चेहरे पर 
कितने करीने से मोहकता 
ओढ़ रखी है मनुवंशजों नें ।

लिजलिजी से पीड़ा
कुलबुला जाती है अन्तस में कहीं
जब कभी साक्षात्कार हो जाता है
इस धरा के सबसे निकृष्ठ बन चुके प्राणी से 
चाहे यथार्थ प्रत्यक्ष
या कहानियो  में ।

पहले कभी उसकी चाह में
राष्ट्र प्रथम था 
फिर देश , प्रदेश , ग्राम का श्रेष्ठ 
उसका कर्म था
फिर आता था  समाज ,कुटुम्ब
परिवार व पत्नी बच्चों का सुख
तब कहीं वह स्वयं था ।

अब किसी भी , किसी की भी 
 किस्से कहानियों में
बस वह स्वयं तना खड़ा है 
सपाट भावनाहीन चेहरा लिये
क्रूर दिल लिये
समसीरी ज़बान लिये ।

स्वयं के लिये जीना 
उसकी 




बस वह स्वयं है






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