शुक्रवार, 21 जून 2024

नही चाहती अभी मैं शादी


नही चाहती अभी मैं शादी
यौवन जब तक मिले अजादी
नहीं चाहती अभी मैं शादी

अभी मैं चाहूं खुल कर जीना
चाह मेरी जो वो सब करना
क्यूं अनुशासन में जकड़ूं मैं
क्यूं एक की बाहों में तड़पूं मै 
कितनी बाहें फड़क रही हैं 
कितनी आहें भड़क रहीं हैं
क्यूं न सबको दूं आजादी
नही चाहती अभी मैं शादी

हर सासों की खुशबू ले लूं
बदन की उनकी गरमी ले लूं
तन से लिपट आह तो भर लूं
एक की हो क्यूं जन्नत खो दूं
ये तो बस है बनना बांदी
नही चाहती अभी मैं शादी ' ।

अभी तो सपने देख रही हूँ
अभी तो जीना सीख रही हूं
पड़ा हुआ है जीवन सारा
नही चाहिए मुझे सहारा
मै अपने को कुछ तो गढ़ लूं
यौवन के कुछ मजे तो ले लूं
कुछ आगे कुछ पीछे घेरे
दाये बायें कुछ को कर लूं
तभी तो मैं सुर्खाब बनूंगी
मस्ती का शैलाब तो बन लूं
क्यूं कर लूं अपनी बर्बादी
नही चाहती अभी मैं शादी ।

नहीं चाहिए अच्छे बच्चे 
लगते होंगे सबको अच्छे
मुझे अभी भविष्य है गढ़ना
धन दौलत के अम्बार पे चढ़ना
क्यूं बच्चे  का बन्धत ले लूं 
घर गृहस्थी के पचड़े झेलूं
चूल्हा चौका ना मैं जानू
क्यूं उसके पचड़ों को मानू
देखो कितनी बढ़ी अबादी
नही चाहती अभी मैं शादी

मां आंसू के सैलाब से तोले
बापू हर क्षण रोष से बोलें
गलत राह है सब ये कहते 
सही समय यह ही है कहते
समय गये पछताओगे
कोस कोस के आहें भरते
कैसे कहूं कि क्या तुम पाये
मुझ जैसे को जग में लाये
लाये हो तो जीने भी दो
मुझे तो दे दो  बस आजादी
नही चाहती अभी मैं शादी ।

जब चाहूंगी मै कर लूंगी 
नही किया तो संग रह लूंगी
वहां न कोई बन्धन होगा
मैं भी खुश वह भी होगा
ना चूल्हा ना चौका होगा
ना बच्चों का चेंचें होगा
उसका जीवन मेरा जीवन
दोनों का अपना जीवन
वहां न कोई मेल रहेगा
अपना अपना खेल रहेगा
मन ऊबा तो कहां है बन्धन
क्यूं आघात क्यूं हो  क्रन्दन
कौन सा दिल से जुड़े हुए हैं
हर कपाट जो खुले हुए है
भाव जगत छीने आजादी
हां, हूं निष्ठुर, चाहूं आजादी
नहीं चाहती अभी मैं शादी

मुझको मेरी राह पसन्द है
छाव नही  धूप पसन्द है
मुझको मेरा आकाश सौंप दो
कूंची दे दी कैनवास सौंप दो
जो चाहूं मुझको करने दो
अपना अनुभव ज्ञान रखो तुम
मुझको अपना ले लेने दो
क्यूं मानू जो कहो तुम अच्छा
ज्ञान तुम्हारा क्यूं मानू सच्चा ।
मेरी शिक्षा मेरा ज्ञान
मुझको इन पर है अभिमान
संस्कार की बात करो ना
उनसे मेरा गठजोड़ करो ना
नहीं है बनना उनकी बांदी
नही चाहती अभी मैं शादी ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन , भोपाल म० प्र०
दिनांक २१ . ०६ . २०२४💐💐









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