सोमवार, 3 मार्च 2025

शिव स्तुति

हे कृपालु दयालु अभय शंकर
किरात उमापति हे विषधर
मझधार घिरा विमूढ़ खड़ा
अमोघ अभय कर हे हर हर


चंचल विवेक, मति मूढ़ मेरी
हर राह मेरी बिखरी  बिखरी
अभिराम मेरे हे ध्यानधरा
जाऊं कहां, अब तू ही बता

भटक रहा तम पंक लिये
नाम तेरा बस संग लिये
हे विश्वरूप हे विरुपाक्ष
दो गंगधार हूं पवित्र साफ

हे शूलपाणि हे खटवांगी
हे रुद्र मेरे भव उग्र मेरे
हे भक्तवत्सल अम्बिकानाथ
कर कल्याण मेरा हे भूतनाथ

चरण शरण दो हे शम्भू मेरे
ध्यान धरा अर्पण है तुझे
भीम मेरे पशु हूं मैं तो
भव पातक हर सच नाम करें ।

उमेश
दिनांक : ०३.०३.२०२५
शताब्दी ट्रेन, भोपाल से ग्वालियर यात्रा


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