गुरुवार, 25 सितंबर 2025

आखिर तुम क्या हो राधे
आज मुझे ये बतला दे

था जन्मा जब मुझे खिलाया
अपनी बाहों में भर भर
लाड़ दिखाया प्यार जताया
दे जीवन रस झर झर झर
क्या था रिस्ता तेरा मेरा
आज मुझे ये बतला दे ।

अलट पलट जब भी मैं गिरता
वहां तेरे हाथों को पाता
घुटनों के बल जो चल पड़ता
सीने से तू उठा लगाती 
स्नेह रसों से भिगा भिगा
हर क्षण अपना लाड़ जताती 
नित सुलाती और जगाती
जाने क्या क्या जतन बना
मेरे तन मन को बहलाती
स्नेह प्रेम के हर रूपों में
कौन था अगुआ यह बतला दे
आखिर तुम क्या हो राधे
आज मुझे ये बतला दे ।


गुरुवार, 11 सितंबर 2025

शेर

न काम से आयें न बुलाने से आयें
तासीर तो तभी जब बहाने से आयें ।

शनिवार, 6 सितंबर 2025

अन्धकार में बैठा मैं था
भटकाव भरा यह जीवन था 
चहुंदिश केवल तम ही तम था
तड़प रहा अन्तरमन था ।

कृष्ण विवर सा अहम् शून्य था
पर अवशोषित वहां सभी था
शुष्क, आद्र, तरल जीवन था  
भष्म तमाग्नि में पर चिन्तन था ।

धैर्य धरा पर जब तुम आये
चिन्तन जागा तुम मुस्काये 
तम अवशोषित काया ले कर
विवेक जगा कर धैर्य जगाये ।

मधुर तेरी मुस्कानों से
स्वर लहरी जो मचल चली
मेरे अन्तस के पोर पोर में
उमंग नई किसलय सी पली ।

तेरी सांसों की छंदों में
वीणा का मेल भी मिलता है
भौतिकता के अनगूंज गूंज में
रस सरगम सा घुलता है ।

तिमिर छटा,आलोक है छाया
खड़ी है सम्मुख, तेरी काया
बदल रही माया की डोरी
शिव सम्मुख हूं जब से आया ।

ना है भटकन ना ही तम है
तरल सरल सा जीवन है
बस हूं मैं और, तू ही तू है
मन अन्तस है अन्तस मन है ।

हूं अब बैठा तुझ संग भोले
जो होना जीवन को हो ले
कर धारणा हूं ध्यान में बैठा 
जगी समाधी शरण में ले ले ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन , भोपाल
दिनांक : ०४.०९.२०२५




बुधवार, 3 सितंबर 2025

गज़ल : अय यार तेरी सोहबत में

गजल

अय यार तेरी सोहबत में हम 
हंस भी न सके रो भी न सके ।
किया ऐसा तुने दिल पे सितम 
चुप रह भी न सके औ कह भी न सके।

बेदर्द जमाना था ही मगर'
हंसने पे न थी कोई पाबन्दी
खारों पे सजे गुलदस्ते बन
खिल भी न सके मुरझा न सके

हम जीते थे बिन्दास जहां
औरों की कहां कब परवा की
पर आज तेरी खुशियों के लिये
खुश रह न सके गम सह न सके

हल्की सी तेरी इक जुंबिस
रुत ही बदल कर रख देती
पर आज दूर तक सहरा ये
तप भी न सके न जल ही सके

जब साथ न देना था तुमको
तो दिल यूं लगाया ही क्यूं था
यूं दम मेरा तुम ले हो गये 
ना जी ही सके ना मर ही सके ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव ०४.०९.१६