आज मुझे ये बतला दे
था जन्मा जब मुझे खिलाया
अपनी बाहों में भर भर
लाड़ दिखाया प्यार जताया
दे जीवन रस झर झर झर
क्या था रिस्ता तेरा मेरा
आज मुझे ये बतला दे ।
अलट पलट जब भी मैं गिरता
वहां तेरे हाथों को पाता
घुटनों के बल जो चल पड़ता
सीने से तू उठा लगाती
स्नेह रसों से भिगा भिगा
हर क्षण अपना लाड़ जताती
नित सुलाती और जगाती
जाने क्या क्या जतन बना
मेरे तन मन को बहलाती
स्नेह प्रेम के हर रूपों में
कौन था अगुआ यह बतला दे
आखिर तुम क्या हो राधे
आज मुझे ये बतला दे ।