खुद को परखने को जिगर चाहिए ।
जिन्दगी फलसफा है,मौत की है डगर रूख रुहानी लिये इसकी कदर चाहिए ।
चंद लम्हे बहोत सीखने को मगर
जिन्दगी भी है कम गर बशरह चाहिए । (अच्छी सूचना देने वाला )
गलतियां दूसरों की, हैं दिखती बहोत
देखने को अपनी, ख़ुदाई नजर चाहिए ।
ढूढ़ पाती जो नज़र आपको आप में ही
निगाहों मे बसी वो नज़र चाहिए ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव
त्रिवेणी एक्सप्रेस
दिनांक : २३. ११. २५
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