तरंगे कभी नही मरती
वे अच्छे लहरों की हो सकती हैं
बुरी लहरों की भी
पर निरन्तर गतिमान
चलायमान रहती हैं
वे मर नही सकती
कभी मर नही सकती ।
वे सरिता की हो सकती हैं
तड़ागों की भी
यहां तक की सागर की भी
हो सकती हैं वे
वे गंदे नालों की
नालियों की या
खारी झीलों की भी हो सकती हैं
पर गतिशील ही होंगी
क्यों कि
तरंगे मर नही सकती ।
वे समीपस्थ सभी को स्वयं में
समेटने समाहित करने का
स्वयं के अनुरूप उन्हे
लहरों में परिवर्तित करने का
प्रयास तो कर सकती हैं
वे दूसरी लहरों से
प्रभावित तो हो सकती हैं
हां , कर भी सकती हैं प्रभावित
दूसरों को भी
पर वे मर नही सकती ।
ये तरंगे
धरा से गगन गगन से अनन्त लोकों तक
यहां तक कि
सोच के अन्तिम छोर तक भी
चाहे वह ब्रम्हाण्ड का अन्तिम
विस्तृत हो रहा छोर ही क्यों न हो तक भी
गमन कर सकती हैं
ऋजु , तिर्यक अथवा वक्री
किसी भी दशा दिशा में
पर तरंगे चलीं तो फिर
गमन ही करती हैं निरन्तर
वे मर नही सकती
जन्म के साथ मृत्यु का, है अटूट रिस्ता भौतिक जगत का नियम यह
तरंगों पर प्रभावी नही लगता
क्योंकि
प्रकृति जगत का हर पदार्थ
जिसमें प्राण जगत के साथ
निष्प्राण भी हैं सम्मिलित
अपना अस्तित्व खोने के उपरान्त भी
प्रेक्षित करता रहता है
तरंगों को निरन्तर अनवरत
ब्रम्हाण्ड में
अनन्त पथ पर गमन करता
संसृति काया पुनः धारण करने तक
इसलिये
जान लो,तरंगे कभी नही मरती
वे मर ही नही सकती
कभी मर नही सकती ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन, भोपाल
दिनांक०७.१०.२०२५