सोमवार, 18 अगस्त 2025

मुझे चाहिये तू, अन्तस में बैठा क्यूं यूं
भटक रहा था बाहर, अब भीतर आता हूं
छिप सके तो छिप ले छलिये 
स्व छान रहा हूं अब मैं
काया छान चुका हूं कब का
मन माया छान रहा हूं अब मैं 
गन्ध तेरी सु संग ले, बनी राह है मेरी 
श्वान बना हूं फिरता, क्या करे राह अंधेरी
माया ! तेरी ये माया, भ्रमित करेगी कब तक
हूं अंश तेरा जब मैं तो

रविवार, 17 अगस्त 2025

शेर

सभी की अपनी राहें हैं सभी की अपनी है मंजिल
पग दो पग के साथी भी महका जाते राहे मंजिल ।
......उमेश

सोमवार, 11 अगस्त 2025

तुम्हे मैं इश्क करता हूं
नहीं चाहत बताने की
अहसास ना कह दें खुद
क्या मनासिब इश्कियाने की

रविवार, 3 अगस्त 2025

मित्रता दिवस की सभी मित्रो को शुभकामनाएँ

दिल के दरवाजे बंद रखोगे तो कैसे कोई वास करेगा
शर्मो हया से ढके रहे तो कैसे कोई आभास करेगा
अहंकार मे डूबे गर तो कैसे कोई विश्वास करेगा
सरल तरल निश्च्छल कर्मो से  ही मीत हृदय पेंग भरेगा......
......... उमेश ......

शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

प्यार होने लगा है

आंखों की पुतली 
मुस्कुराने लगे जब 
गालो की रंगत 
सुर्ख होने लगे जब
नुथनों पे लाली 
छाने लगे जब
अधरों की फांके
थरथराने लगे जब
धड़कन दिल की
गुनगुनाने लगे जब
गुदगुदी उदर में
सताने लगे जब
कदमों की चालें
डगमगाने लगे जब
नीद में बन सपने 
वो आने लगे जब
बता देता तन मन
प्यार होने लगा है  ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन, भोपाल
दिनांक : २६.०७.२५

बुधवार, 23 जुलाई 2025

किसी को फुरसत कहां 
ठहर, कर ले, खैरमकदम
क्यूं बेज़ार हुआ जाता कि,
किस्से नही सुने जमाने नें ।

जमाना कहां कब पूछता ?
दर्द से, क्या हाल है !
खुशियों के साथ ही
उसकी रही है दोस्ती । 

प्यार को प्यार से पूछता
बस दर्द है
प्यार में व्यापार करता 
प्यार तो बस ज़र्द है ।


शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

ढूढ़ने से दोस्त  ना मिलेंगे ऐ रहनशी
बन किसी की दोस्त खुद, होजा तू जहनशी ।
उमेश
१८.०७.२५
१ .मार्ग दर्शन करने वाला
२ .मन में बसा हुआ