शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

ढूढ़ने से दोस्त  ना मिलेंगे ऐ रहनशी
बन किसी की दोस्त खुद, होजा तू जहनशी ।
उमेश
१८.०७.२५
१ .मार्ग दर्शन करने वाला
२ .मन में बसा हुआ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें