भटकती प्यास का
मधुमास लिये जीता रहा ၊
सीने में लहरों का
अहसास लिये जीता रहा ၊
नर्म कलियों की
सदा ,दिल को तमन्ना थी
मैं तो ख़ारों के
तख्तो ताज लिये जीता रहा ၊
बदगुमां सदियों से रहा
चाहत का जहां
हर्फ-ए-नज़रों पे
एतबार किये जीता रहा ၊
दरिया ए सहरा ,
समझ, शबनमी कतरे
हर इक घूंट
मदहोश हो पीता रहा
तुझ पे इल्जाम नहीं
हुश्न की मूरत
हुश्न की गलियों में इश्क
सदा यूं ही तो रीता रहा ၊
उमेश 07.04.2019 सिंगरौली 02:13:05
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