जिन्दगी सदा मुस्कुराती नहीं,
दर्द की पोटली वो छिपाती नहीं
क्यों परेशां हो रहा देख आफताब को
कौन कहता तलखियां आ के जाती नहीं।
..... उमेश......(२८.०३.२०१६)
मिलती रही निगाहों से निगाहें बार बार
सबब बस यही था मदहोसी का हमारी ।
उमेश श्रीवास्तव
चंचल मन उन्मुख रहे सदा पाप की ओर
धर्म राह पर चल पड़ने को लगे सदा ही जोर ।
उमेश श्रीवास्तव
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