मातृ दिवस पर इस वसुधा पर की सभी माताओं को मेरी ओर से आदरान्जली :-
अनन्त मंगल घोषकारी
*माँ* ध्वनि अपरमपार है ,
'ब्रम्ह' भौतिक लोक की ,
हर प्राण की आधार है ၊
गढ़ती अनेको रूप जिससे
ये चराचर चल रहा
रहते अगढ़ पशु ,माँ पाठ बिन
मानव प्रगति जो कर रहा ၊
माँ आप में हैं देव तीनों
तृदेवियां भी आप में
ब्रम्हाण्ड की हर शक्तियां
माँ शब्द में ही व्याप्त हैं ၊
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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