Meri Gajale Mere Geet (मेरी ग़ज़लें मेरे गीत)
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024
मोती छिटकती हो धरा पर
रात भर
हो सजाती तृण पात
कुसुम पाषाण भी
ऐ चांदनी तुम अथक !
क्या चाह ले ?
रजनी संग मेल तेरा
तारों ने लिखा है
आकाश सारा मुग्ध
लख नक्षत्र सारे
जो खड़ा अगवानी को
स्वागत में तेरे
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