१-इश्क को हद में बांध कर कोई कहे
डूब जा तू दर्द -ए-गुबार में
२-तूने यूं भिगोया मुझे अपनी इश्क की बून्दो से ,
इस तरह तर हूं अब सूख जाऊं मुस्किल है।
३-जान के जाने का मंजर क्या होगा
तुझसे दूर होते ही जान लेता हूं।
४-तूने दीदार जो कराया जल्वा-ए-हुश्न ,
हूं अब तलक खोया हुआ तेरी रूह में हूं ।
५-है रुह को बस तेरी ही तमन्ना
तेरे जल्वे को बस देखता ही रहूं
मेरे सामने यूं ही बैठी रहो तुम
जिन्दगी भर यूं तुम्हे बस तकता रहूं
६-थी तमन्ना तुम्हारी शायरी में ढलो तुम
अब हर लफ्ज शेर का है तुम्हारे लिये
७-यूं न मचला करो जरा सम्हला करो
ये शुरूआत है इंतहां ये नहीं
८-तेरी आरजुओं से बन्ध गया हूं मैं
अब तमन्ना यही बस रिझाती रहो
उमेश श्रीवास्तव