दीप शिखा की, बन रश्मि मनोरम
तम दूर करो हर हर जर जर
हर ताप हरो, सन्ताप हरो
हर प्राण करे हरि हर हरि हर ၊
स्वदीप बनो, विकार गरल बाती तन कर ၊
घृत आत्म तरल, सिंचित बाती
उजियार करो , जल,जग कण कण को ၊
मार मरा कर ना जी तू , राममयी कर जीवन को ၊
उमेश श्रीवास्तव , नव जीवन विहार कालोनी , विन्ध्य नगर ,सिंगरौली , 07.11.2018 ।
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