मुस्कुराने लगे जब
गालो की रंगत
सुर्ख होने लगे जब
नुथनों पे लाली
छाने लगे जब
अधरों की फांके
थरथराने लगे जब
धड़कन दिल की
गुनगुनाने लगे जब
गुदगुदी उदर में
सताने लगे जब
कदमों की चालें
डगमगाने लगे जब
नीद में बन सपने
वो आने लगे जब
बता देता तन मन
प्यार होने लगा है ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन, भोपाल
दिनांक : २६.०७.२५