Meri Gajale Mere Geet (मेरी ग़ज़लें मेरे गीत)
बुधवार, 16 सितंबर 2020
मुक्तक
है कस्ती वो कागज की
जो सैलाबों में भी नही डूबी
कई दरियायी बेड़ों को
किनारों पर है डूबते देखा ।
उमेश
२०.०९.२०
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