खुमार - ए - गम से
खुशियों की तमन्ना
अब किया नही करता ।
टीश , दिल में , दिमाग में
या हो बदन में
अश्क का इंतजार
अब किया नही करता ।
ख्वाब दिल में रहे
जितनी भी हसरतें ले कर
ख्वाबों पर एतबार
अब किया नही करता ।
टूटना बिखरना
कहा करते किसको
इनका दर्द सुमार
अब किया नही करता ।
पास आ कर तुम
क्या पाओगे मुझमें
दुनिया में खुद को सुमार
अब किया नही करता ।
महफिल से जा
ख्वाबों में न आओ यूं
ख्वाबों पर मैं एतबार
अब किया नही करता ।
दिनांक २३ . १० . २४
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