बुधवार, 23 अक्तूबर 2024

"बहल जाता हूं " गज़ल

बहल जाता हूं अब तो
खुमार - ए - गम से 
खुशियों की तमन्ना
अब किया नही करता ।

टीश , दिल में , दिमाग में
या  हो बदन में 
अश्क का इंतजार 
अब किया नही करता ।

ख्वाब दिल में रहे
जितनी भी हसरतें ले कर
ख्वाबों पर एतबार
अब किया नही करता ।

टूटना बिखरना 
कहा करते किसको
इनका दर्द सुमार
अब किया नही करता ।

पास आ कर तुम
क्या पाओगे मुझमें
दुनिया में  खुद को सुमार 
अब किया नही करता ।

महफिल से जा 
ख्वाबों में  न आओ यूं 
ख्वाबों पर  मैं एतबार 
अब किया नही करता ।

दिनांक २३ . १० . २४


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें