मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

गज़ल खामोश नज़र का ये असर

ग़ज़ल

खामोश नज़र का ये असर , कुछ धीमा धीमा है
विंदास अदा का ये कहर ,  कुछ धीमा धीमा है

देखो ठहर सी जाती अब , जीवन की तड़पती चपला ये
पायल की रुनझुन का ये असर, कुछ धीमा धीमा है

प्यासी तड़पती बुलबुल ये , मर जाये ना इक आश लिए
मद से भरे अधरों का असर , कुछ धीमा धीमा है

बिखरी सबा में खुशबूए , गश खाने लगा दिल ठहर ठहर
ज़ुल्फो का तेरी , खुशबू का असर, कुछ धीमा धीमा है

ये शोख अदा ये बांकापन , उस पे ये जवां अंगड़ाई
यौवन की तेरे, इस मय का असर , कुछ धीमा धीमा है

खामोश नज़र का ये असर , कुछ धीमा धीमा है
विंदास अदा का ये कहर ,  कुछ धीमा धीमा है

                    उमेश कुमार श्रीवास्तव

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