सोमवार, 29 दिसंबर 2025

प्रेम

प्रेम तुम बस प्रेम हो
जल से सरल
अयस से कठोर भी
माखन से मृदु स्निग्ध भी
पवन से सुवासित
तन मन को
भरते निरन्तर
सुवास से
सच प्रेम तुम अनुपमेय हो 
क्यों कि तुम
बस प्रेम हो ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
लोक भवन , भोपाल
दिनांक : २९.१२.२५

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