मैं चाहता था देखना धड़कन को अपने दिल की
देखा वहाँ तो तेरा घरोंदा बना हुआ है
खूं में थी रवानी औ जोश-ए-जुनू भरा था
अलमस्त तेरा चेहरा उसमें सज़ा हुआ है
मैने की ज़रा सी जो मिज़ाज-पुरसी दिल से
मुझको लगा कि जैसे वो तुझसे मिला हुआ है
अजनबी सा खड़ा था मैं खुद के नसेमन में
कहने को दिल मेरा था अनजाना सा जो हुआ है
तुम ही बताओ जानम जाएँ तो जाएँ कहाँ हम
उस दिल में ही अब जगह दो जो तेरा नहीं रहा है
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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