ग़ज़ल
आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा
बहने दो सबा को सर्द झोके ले
तेरी बाहो में लिपट गर्म हो लूँगा
स्याह राते होगी स्याह औरो के लिए
चाँदनी से मैं तेरी , रात सजो लूँगा
तू महफूज रहे मेरे गुनाहो से
जख्म-ए-गुनाह का ऐलान-ए-हदूद कर दूँगा
जज़्बा-ए-इश्क मेरी यूँ ही परवान चढ़े
अपनी सांसो पे तेरा नाम धर दूँगा
आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा
उमेश कुमार श्रीवास्तव
आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा
बहने दो सबा को सर्द झोके ले
तेरी बाहो में लिपट गर्म हो लूँगा
स्याह राते होगी स्याह औरो के लिए
चाँदनी से मैं तेरी , रात सजो लूँगा
तू महफूज रहे मेरे गुनाहो से
जख्म-ए-गुनाह का ऐलान-ए-हदूद कर दूँगा
जज़्बा-ए-इश्क मेरी यूँ ही परवान चढ़े
अपनी सांसो पे तेरा नाम धर दूँगा
आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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