अभिसारिका
हर श्रृगार अलग कर दूँ
स्व मकरंद चहुँ दिशभर दूँ
आतुरता से पी बाट तकूं
हिय प्रेम सुधा हुलसाय रखूं
जाने कब आय न जाएँ सखी
अलको को नयनो से हटाय रखूं
यह वेध रही अगन हिय को
अब सेज प्रसून सजाय रखूं.
...........उमेश कुमार श्रीवास्तव
हर श्रृगार अलग कर दूँ
स्व मकरंद चहुँ दिशभर दूँ
आतुरता से पी बाट तकूं
हिय प्रेम सुधा हुलसाय रखूं
जाने कब आय न जाएँ सखी
अलको को नयनो से हटाय रखूं
यह वेध रही अगन हिय को
अब सेज प्रसून सजाय रखूं.
...........उमेश कुमार श्रीवास्तव
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