Meri Gajale Mere Geet (मेरी ग़ज़लें मेरे गीत)
शनिवार, 1 अगस्त 2020
कुछ शेर
देखा था बस इक नज़र उस किताब को
अब तलक अटका हुआ पहले हरफ़ पे हूँ .....उमेश
दर-दर भटकते रहे ऐसी नज़र के लिए
भेद देती दिल को जो चश्म-ए-नज़र से अपनी
..उमेश..
अब तलक़ ख्वाहिस यही पढ़ सकूँ इश्क-ए-नज़र
जिंदगी गुज़री मगर वो नज़र मिलती नहीं
...उमेश
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