चांद मेरी
आयाम पर चल जरा
देख मेरी प्यास को
सूखते अहसास को ၊
मैं तो बस चल रहा
रीता रीता पल रहा
जिन्दगी की चाह में
सुलग सुलग,जल रहा ၊
ऐ चांदनी , यूं गुमां न कर
संग आ , आह भर
तप्त हो निखर ज़रा
है दिलजले का मस्वरा ၊
कुछ भी न हूं मैं चाहता
बस प्यार का अहसास ला
तू मुझे निरख जरा
अहसास प्यार के जगा ၊
मुझको न कोई चाह है
चाहत तेरी, इक चाह है
इक निगह बस प्यार की
जिन्दगी न्यौछार है ၊
ऐ चांद रूख बदल ज़रा
नजदीकियां तो ला जरा
मैं भी सुकून पा सकूं
बस अब जतन ये कर ज़रा ၊
उमेश कुमार श्रीवास्तव
२७.०१.२१
शिवपुरी
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