सद्पथ
अज्ञात , ज्ञात हो
भूत बन रहा
जिस क्षण को हम
भोग रहे
प्रारब्ध बन रहा
हर कर्म हमारा
नव भविष्य निर्माण हेतु ၊
उत्साह,उमंग
प्रेम-तरंग
यदि
हर क्षण की ये
थाती हो
हर कर्म हमारा,
ईंट व गारा,
नव आगात
कल्याण हेतु ၊
आज सींचते
जिन बीजों को
कल के वृक्ष वही होंगे
क्या बोओगे
बबूल बीज तुम ?
आम्र कुंज
पहचान हेतु ၊
प्रेम धरा है
कर्म बीज है
उत्साहपूर्ण सदकर्म
करो ,
रश्मि रथी बन
अंध पथों में
प्रेम प्रभा
आह्वान हेतु ၊
उमेश श्रीवास्तव
दिनांक २२.१२.२०२०
केराकत , जौनपुर प्रवास
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