चन्द श़ेर
१. है मोहब्बत जो फिक्र करते तुम्हारी
नही तो हमें फिक्र खुद की भी नहीं है
२. ना समझी हमें तू, न बातें हमारी
खता कर रही ये अदू अब तुम्हारी । ( अदू /अदा)
३. उन्हे तो मजा आ रहा जिन्दगी का
उन्हे क्या फरक कोई गुमसुम है कहीं पर
४. सर्दियों की गर्मियां जिस्म घायल करें है
लाख कोशिश करो खूं जमता नहीं है ।
५. शोखियां जो हैं उनकी खंजर सरीखी
काट देती जिगर पर, न लहू वो निकालें
६. हुश्न पर चढी गर, इश्क की चासनी तो
जमाने सम्हलना , आग लग जायेगी
७. इश्क तो जला है बन पतंगा सदा
न फुरसत समा को , रौशनी बाटने से
उमेश श्रीवास्तव
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