चश्मो में चमकी तब्बस्सुम जो देखी
मेरी जिंदगी मुस्कुराने लगी
रुखसार पे तेरी हया जो देखी
ये जिंदगी गुनगुनाने लगी
लबो की तेरी गुलाबी ओ रंगत
मुझमें फिर जुनू है जगाने लगी
क्या कहूँ क्या कहूँ क्या कहूँ ऐ जानम
ख्वाबो में भी तू जो जगाने लगी
उमेश श्रीवास्तव
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