ग़ज़ल
फिजाओं पे रंगत है छाने लगी
हर कली आज फिर गुनगुनाने लगी
तुमने हँस के जो पूछा मेरा अहले हाल
मेरे खूं में रवानी है छाने लगी
खैरमकदम तेरा यार कैसे करूँ
खुशी में ज़ुबाँ लड़खड़ाने लगी
आज का दिन कितना हसीं बन गया
हर तरन्नुम तेरी याद आने लगी
अय मेरे हमनशीं अय मेरे हम सफ़र
तेरे नालों की नमी है बुलाने लगी
सब्र करता रहा सब्र जाता है अब
तेरी बेताबी मुझको सताने लगी
रंजो-गम भूल कर मुस्कुराती रहो
मेरे दिल से दुआ आज आने लगी
दिल की राहों में ज़रा तुम कदम तो सुनो
मेरे कदमो की आवाज़ है आने लगी
फिजाओं पे रंगत है छाने लगी
हर काली आज फिर गुनगुनाने लगी
उमेश कुमार श्रीवास्तव
फिजाओं पे रंगत है छाने लगी
हर कली आज फिर गुनगुनाने लगी
तुमने हँस के जो पूछा मेरा अहले हाल
मेरे खूं में रवानी है छाने लगी
खैरमकदम तेरा यार कैसे करूँ
खुशी में ज़ुबाँ लड़खड़ाने लगी
आज का दिन कितना हसीं बन गया
हर तरन्नुम तेरी याद आने लगी
अय मेरे हमनशीं अय मेरे हम सफ़र
तेरे नालों की नमी है बुलाने लगी
सब्र करता रहा सब्र जाता है अब
तेरी बेताबी मुझको सताने लगी
रंजो-गम भूल कर मुस्कुराती रहो
मेरे दिल से दुआ आज आने लगी
दिल की राहों में ज़रा तुम कदम तो सुनो
मेरे कदमो की आवाज़ है आने लगी
फिजाओं पे रंगत है छाने लगी
हर काली आज फिर गुनगुनाने लगी
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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