चंद मुक्तक
१
आँखो में मुस्कान लिए हो
ओठों पर मधुमास
ज़ुल्फो में सावन की घटा ले
हो , जाती किसके पास
२
किन सोचों में गुमसुम हो तुम
किन ख्यालो में हो डूबी
ये बीते पल की यादें देखो
कहाँ कहाँ ले कर डूबी
३
सिमटी सिमटी वहाँ खड़ी क्यूँ
अपने में ही सकुचाती
किस परदेसी की बात जोहती
ले व्यथा विरह की हहराती
४
घूर रही क्यूँ तिरछी चितवन
क्या कोई तकरार है
पर ओठों पर शोख हँसी है
लगता आया प्यार है
५
खोजती है नज़र उन्ही उनको ऐ सनम
जिनने दिल को दर्द दे कर कर किनारा है लिया
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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