1
चुपके से तुमने भर दी गागर ऐ जिन्दगी
थोड़ा खाली जो रखती गागर , जान तो पाता क्या पाया है
2
दिनभर की थकान ले कर पहुचा जो घर पे मैं
तेरी इक तब्बस्सुम ने हर दर्द हर लिया
3
मैने हर राह को मखमली सा ही पाया है
तेरी ही चाहतो ने हर खार को हटाया है
4
मेरे कदम दर कदम इक और भी कदम है
जो कह रहे कि साथी अकेला नही तू राह में
राह में तू रोड़े अब लाएगी क्या ऐ किश्मत
मेरा प्यार चल रहा जब मददगार बन कर
5
सोचा था दूर होकर मैं भी करूँगा याद
पर क्या करूँ की तुम तो दिल मे बसे हो मेरे
उमेश कुमार श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें