वे अच्छे लहरों की हो सकती हैं
बुरी लहरों की भी
पर निरन्तर गतिमान
चलायमान रहती हैं
वे मर नही सकती
कभी मर नही सकती ।
वे सरिता की हो सकती हैं
तड़ागों की भी
यहां तक की सागर की भी
हो सकती हैं वे
वे गंदे नालों की
नालियों की या
खारी झीलों की भी हो सकती हैं
पर गतिशील ही होंगी
क्यों कि
तरंगे मर नही सकती ।
वे समीपस्थ सभी को स्वयं में
समेटने समाहित करने का
स्वयं के अनुरूप उन्हे
लहरों में परिवर्तित करने का
प्रयास तो कर सकती हैं
वे दूसरी लहरों से
प्रभावित तो हो सकती हैं
हां , कर भी सकती हैं प्रभावित
दूसरों को भी
पर वे मर नही सकती ।
ये तरंगे
धरा से गगन गगन से अनन्त लोकों तक
यहां तक कि
सोच के अन्तिम छोर तक भी
चाहे वह ब्रम्हाण्ड का अन्तिम
विस्तृत हो रहा छोर ही क्यों न हो तक भी
गमन कर सकती हैं
ऋजु , तिर्यक अथवा वक्री
किसी भी दशा दिशा में
पर तरंगे चलीं तो फिर
गमन ही करती हैं निरन्तर
वे मर नही सकती
जन्म के साथ मृत्यु का, है अटूट रिस्ता भौतिक जगत का नियम यह
तरंगों पर