ग़ज़ल
मुल्केअदम से लौट कर आऊंगा एक दिन
अब्दियत तिरी वहाँ जो कर ना सकूँगा
नाआश्ना मैं रहाअन्जुमन से तेरी
तू अदल पसंद रहा औ मैं बा-अदा
ख्वाहिश रही अजल से तेरे करम की
अज़ाब भी सहता रहादीदार को तेरे
अदम रसाई ही रही तेरी ऐ खुदा
अकारत ही गई सारी नफस मेरी
आज तो तू मान ले मैं भी हूँ दमसाज
मामूर ही रहेगा दिल में तेरा आशियाँ
उमेश कुमार श्रीवास्तव
जबलपुर २६.०६.२०१६
मुल्केअदम---: यमलोक
अब्दियत-------बंदगी पूजा आराधना
नाआश्ना----अनभिज्ञ, अज्ञानी
अजल-----अनादि काल , सृष्टि काल
करम----आशीष,समर्थन,सहयोग
अन्जुमन----सामान्य प्रयोजन हेतु एक़त्रित हुए व्यक्तियों का संगम
बा-अदा ----अभिनय करने वाला
दीदार---- दर्शन, आमने सामने से देखना
अदल पसंद---------न्यायसंगत
अज़ाब--- नर्क यातना
अदम रसाई---- अपहुंच
ख्वाहिश---इच्छा
अकारत----बेकार जाना
नफस------श्वासोच्छवास. साँस, श्वास
दमसाज-----दोस्त , मित्र
मामूर -----बसा हुआ, आबाद
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