तुमको उठना ही होगा
चीख रही मानवता
तुमको उठना ही होगा
अय,जग दिग्दर्शक, पथ प्रदर्शक
भारत पूत महान
सत्य अहिंसा दया धर्म का
फिर से अस्त्र सम्हालो
भ्रात्रि-भाव का ले अवल्म्बन
फिर अखिल विश्व जगा लो
मायावी इस चकाचौंध में
है अखिल विश्वा भरमाया
सभ्य राष्ट्र की शीतलता में
फिर , उनको आज बुला लो
वैर-भाव है जन्म ले चुका
हर मानव के मन में
दानव की हो चुकी पैठ फिर
हर मानव के तन में
है जग तरणी फिर डोल रही
तीव्र भँवर के आगे
ज्ञान शक्ति का अलख जगा
पुन पतवार तुम्ही सम्हालो
प्रलय काल की बेला में, जग
कण-कण बिखर रहा है
ब्रम्ह शक्ति से बना जगत
बस तुमको निरख रहा है
हो किस चिंतन में विचलित लगते
पग अवधारो भारत
भ्रमित भ्रष्ट्र इस त्रस्त्र जगत को
तुम संधानो भारत
..उमेश श्रीवास्तव...29.01.1991
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