जिस निगह देखो मुझे मैं ही मिलूंगा , पाषाण की प्रतिमा नहीं जो इक सा दिखूंगा । नीर बन बहनें न दो मैं हूं वहां , बन्द कर देखो जरा मैं ही दिखूंगा । ....उमेश
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