आज अपनी धरा (उर्वी) के जन्म दिन पर उसे यादों भरी प्रेमांजली उसके अंशुमाली की ओर से :
आज तुम्हारे जन्मदिवस पर
जो प्रथम बार शायद है याद
दिल है प्रमुदित मन उल्लासित
दे , कोटि कोटि तुम्हे साधुवाद ၊
प्रेम सुधा की गागर जैसी
धैर्य तुम्हारा सागर है ,
गाम्भीर्य सगरमाथा है तेरा
मृदुता की तो तू, ना-गर है ၊
धरा पे जीवन पाया तूने
मेरा जीवन जीने को ,
या यूं कहिए मेरे जीवन का
हर गरल सुधा सम पीने को ၊
शव सदृष्य बस जीता मैं था
स्वांस मेरी बस चलती थी
पा स्वन्दन तेरी सांसो से
शिव सदृष्य अब पलता हूं ၊
प्रेम रसिक था मन चिन्तन पर
था प्रेम सुधा से रीता जीवन
रूनझुन पग ले मेरे आंगन में
ले आई तुम नव जीवन ၊
जो हूं अब मैं , वो तुम हो
इस जीवन की हो प्राण तुम्ही
मैं रुखा था प्रेम सुधा तुम
जीवन की हो श्रृंगार तुम्ही ၊
जन्म दिवस पर क्या दूं तुमको
जब अर्पित स्वयं हुआ हूं मैं
परिणय बन्धन सम्पूर्ण समर्पण
अब शेष कहां रहा हूं मैं ၊
बस यही कामना रहे सदा
प्रमुदित प्रफुल्लित जीवन हो ,
हर दुःख हों अवशोषित मुझ में,
तेरा, सुखमय सदा जीवन हो ၊
उमेश ,जबलपुर , दि० 06.05.18
दीर्घायुरारोग्यमस्तु
सुयशः भवतु
विजयः भवतु
जन्मदिनशुभेच्छाः
शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्
जय जय जय तव सिद्ध साधनम्
सुख शान्ति समृद्धि चिर जीवनम्
शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्
प्रार्थयामहे भव शतायु: ईश्वर सदा त्वाम् च रक्षतु।
पुण्य कर्मणा कीर्तिमार्जय जीवनम् तव भवतु सार्थकम् ।।
ईश्वर सदैव आपकी रक्षा करे
समाजोपयोगी कार्यों से यश प्राप्त करे
आपका जीवन सबके लिए कल्याणकारी हो
हम सभी आपके लिए यही प्रार्थना करते हैं
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