हुजूर, अर्ज़ है !
१
लोग पी जाते प्याले पे प्याला नशे के लिए
तेरी इक नज़र से मदहोश हुआ जाता मैं
२
हर अदा तेरी,मय में,डूबी हुई
डर है कहीं मयकश न बन जाऊं मैं
३
रंगे हया से नहाया ये मुखड़ा तेरा
बदगुमानी कराता शबनमी कमल की
४
सब कहते चाँद बादल में छिपा है
मैं तो कहता तेरी ज़ुल्फो ने ढका है
५
कौन कहता आज अमावस की रात है
मेरी चाँदनी तो मेरे साथ है
६
तेरी अदू हैं तेरी यादे
कहीं मैं उनसे ही प्यार करने न लगूँ
७
तुझे देख नहाता जमुना जल में
बदगुमानी हुई ताज महल की
८
हम तो करते कोशिश उन्हे भूलने की अक्सर
वो जो हमें शायद याद करते ही नही
९
अभी हो सम्मुख पर जाते हो
मेरे दिल को हुलसाते हो
फिर कहते ना नीर बहाओ
तुम भी कितना तड़पाते हो
१०
दर्द कितना है हर अल्फ़ाज़ बता जाता है
हर्फ-दर-हर्फ इक हूक् उठा जाता है
चश्म दर्द से नम हैं खुशियो से नही
अश्क के गिरने का अंदाज बता जाता है
उमेश कुमार श्रीवास्तव
१
लोग पी जाते प्याले पे प्याला नशे के लिए
तेरी इक नज़र से मदहोश हुआ जाता मैं
२
हर अदा तेरी,मय में,डूबी हुई
डर है कहीं मयकश न बन जाऊं मैं
३
रंगे हया से नहाया ये मुखड़ा तेरा
बदगुमानी कराता शबनमी कमल की
४
सब कहते चाँद बादल में छिपा है
मैं तो कहता तेरी ज़ुल्फो ने ढका है
५
कौन कहता आज अमावस की रात है
मेरी चाँदनी तो मेरे साथ है
६
तेरी अदू हैं तेरी यादे
कहीं मैं उनसे ही प्यार करने न लगूँ
७
तुझे देख नहाता जमुना जल में
बदगुमानी हुई ताज महल की
८
हम तो करते कोशिश उन्हे भूलने की अक्सर
वो जो हमें शायद याद करते ही नही
९
अभी हो सम्मुख पर जाते हो
मेरे दिल को हुलसाते हो
फिर कहते ना नीर बहाओ
तुम भी कितना तड़पाते हो
१०
दर्द कितना है हर अल्फ़ाज़ बता जाता है
हर्फ-दर-हर्फ इक हूक् उठा जाता है
चश्म दर्द से नम हैं खुशियो से नही
अश्क के गिरने का अंदाज बता जाता है
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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