किस पर लिखूं
किस पर लिखूं
किस पर लिखूं
मैं आज
किस पर लिखूं
आज प्रेरित कर रहा
लेखन करने को मन
ऊँगलियाँ भी लेखनी पर
हैं मचलती जब
तुम ही बताओ उद्दीपको
मैं आज किस पर लिखूं
क्षीण होते मेघ पर
जो रिक्तबरखा बूँद से
या वायु में घुल रहे
विषाणुओं के तेग पर
या,भ्रष्ट होते त्रस्त होते
इस समाज पर लिखूं
या,झोपड़ी के रुदन पर
या,महलो के राज पर लिखूं
स्नेह,ममता,भ्रातृत्व की
टूटती मीनार पर
या,सांप्रदायिकता के उठ रहे
अंध ज्वार पर लिखूं
भ्रमित हो रहा आज इन
उद्दीपको के मध्य मैं
स्थिर नहीं होता है चित्त
मैं आज किस पर लिखूं
किस पर लिखूं
किस पर लिखूं
मैं आज
किस पर लिखूं
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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