सफलता
मुझे मालूम है
तुम आओगी मेरे पास
स्वयं को खोजने
क्यो कि मेरे बिना
तुम्हारा अस्तित्व ही
कहाँ है ,
इस जहां में
बस
इसी के सहारे
निश्चिन्त सा
कर्म पथ पर
चलता रहा हूँ ,
रहूंगा, कि,
तुम आओगी
किसी न किसी मोड़ पर
छोड़ जाओगी कहाँ
इस वीराने में
मुझे।
मैं जानता हूँ
तुम ले रही हो परीक्षा
धैर्य की मेरे
यह सही ,कि मैं अधीर हूँ
जल्द पाना चाहता हूँ ,
तुम्हे
इसलिए ही सदा
खोता आया हूँ
और तुम दूर ही दूर
रहती आई हो
मुझसे
पर ,
यह भी सत्य है
अटल
कि , तुम भी
लौटोगी मूल की तरफ
बरगद कि लटो की तरह
क्यूँ कि तुम रही हो
युगो से ,
मेरे सीने में दफ़न
धड़कनो की तरह
मेरी,
रह न सकोगी
एकाकी , बिछड़ कर
मेरी धड़कनो से
अब तो प्रतीक्षा है
बस उसी घडी की
जब फिर से सन्नाटा
बोलेगा
ले तेरे सात सुरो की बोली
गमकेंगी जब
हर दिशाएँ
तेरे यौवन पुष्प की
महक से
मेरा जीवन भी तब
चहकेगा
कटेगी हर ,
प्रतीक्षा की घडी
उमेश कुमार श्रीवास्तव २६. ०१. १९९१
छोड़ जाओगी कहाँ
इस वीराने में
मुझे।
मैं जानता हूँ
तुम ले रही हो परीक्षा
धैर्य की मेरे
यह सही ,कि मैं अधीर हूँ
जल्द पाना चाहता हूँ ,
तुम्हे
इसलिए ही सदा
खोता आया हूँ
और तुम दूर ही दूर
रहती आई हो
मुझसे
पर ,
यह भी सत्य है
अटल
कि , तुम भी
लौटोगी मूल की तरफ
बरगद कि लटो की तरह
क्यूँ कि तुम रही हो
युगो से ,
मेरे सीने में दफ़न
धड़कनो की तरह
मेरी,
रह न सकोगी
एकाकी , बिछड़ कर
मेरी धड़कनो से
अब तो प्रतीक्षा है
बस उसी घडी की
जब फिर से सन्नाटा
बोलेगा
ले तेरे सात सुरो की बोली
गमकेंगी जब
हर दिशाएँ
तेरे यौवन पुष्प की
महक से
मेरा जीवन भी तब
चहकेगा
कटेगी हर ,
प्रतीक्षा की घडी
उमेश कुमार श्रीवास्तव २६. ०१. १९९१
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