ग़ज़ल
है कितना अजब सफ़र जिन्दगी का
हर मोड़ तल्ख़, है कहर जिन्दगी का
है सब कुछ यहाँ इस लम्बे सफ़र में
है जोखिम भरा कारवाँ जिंदगी का
हैं अश्को भरे गम के दरिया अनेको
वही पार पहुँचा जो रहा मुतमई सा
तब्बस्सुम की छटा ले हैं गुलशन अनेको
जो सहे दर्द खारे है गुलशन उसी का
है तकदीर उसी की जमाना उसी का
जो जिया जिंदगी को सदा बंदगी सा
उमेश कुमार श्रीवास्तव
है कितना अजब सफ़र जिन्दगी का
हर मोड़ तल्ख़, है कहर जिन्दगी का
है सब कुछ यहाँ इस लम्बे सफ़र में
है जोखिम भरा कारवाँ जिंदगी का
हैं अश्को भरे गम के दरिया अनेको
वही पार पहुँचा जो रहा मुतमई सा
तब्बस्सुम की छटा ले हैं गुलशन अनेको
जो सहे दर्द खारे है गुलशन उसी का
है तकदीर उसी की जमाना उसी का
जो जिया जिंदगी को सदा बंदगी सा
उमेश कुमार श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें