ग़ज़ल
शब्दो के हिन्दी अर्थ
यार र् प्रेमी
कूंचे र् गली
सबा र् शीतल हवा
नामावर = पत्र वाहक
जख्में निहाँ = छिपी चोटें
बयां र् विवरण बता देना
अश्क र् आंसू
विस्मिल- घायल
आरजू र् इच्छा, कामना
फना- गायब, अदृष्य
सब्र - धैर्य
तेगे जुनू= उन्माद की तलवार
आसियां- आवास
कफस- पिंजरा , गजल में शरीर रूपी पिंजरा
मगरूर - अभिमानी
फुर्कत र् जुदायी , वियोग
नशेमन - घोसला , आवास
गुज़रेगी जब यार के कूंचे से तू सबा
नामावर बन जख्में-निहा उनसे कर देना बयाँ
कह देना उनसे कि अश्क भी अब सूखते
विस्मिल दिल से आरजूए हो चुकी कब की फ़ना
याद तो करता बहोत पर सब्र ही जाता रहा
कब तलक तेगे जुनू से मैं बचाता आसियाँ
इस कफस में आज तो ज़ान भी मचलने लगी
छोटे पड़ने लगे अब ये ज़मीं ये आसमाँ
उस दिले मगरूर से आख़िर में कहना तू जा
मिट रहा फुर्कत में नशेमन का हर निशाँ
उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिनांक: २५.११.१९८९
नामावर बन जख्में-निहा उनसे कर देना बयाँ
कह देना उनसे कि अश्क भी अब सूखते
विस्मिल दिल से आरजूए हो चुकी कब की फ़ना
याद तो करता बहोत पर सब्र ही जाता रहा
कब तलक तेगे जुनू से मैं बचाता आसियाँ
इस कफस में आज तो ज़ान भी मचलने लगी
छोटे पड़ने लगे अब ये ज़मीं ये आसमाँ
उस दिले मगरूर से आख़िर में कहना तू जा
मिट रहा फुर्कत में नशेमन का हर निशाँ
उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिनांक: २५.११.१९८९
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