१ - हम तो कोशिश करते भूल जाने की अक्सर
वो तो शायद , याद करते ही नहीं
२- वही चाँद वही तारे वही पिज़ा वही नज़ारे
फ़िर क्यूँ चुप सब !
लगता बिन तुम्हारे
३- रँगे हया के शबनम में लिपटी तब्बस्सुम तेरी
हाय ! मुझमें , जुनू भर गई
४- तुझे देख नहाता जमुना जल में
मुझे बदगुमानी हुई ताज महल की
५- ये नाजे अंदाज ये शोखी शरारत
क्यूँ ना करे आशिक तेरी इबादत
६- तुम बस गई हो साँसो में इस कदर
जिसको भूलना , मौत का पैगाम ले के आएगी
७ - आँखो का समझ अश्क तूने मुझे जुदा किया
शबनम सी मोहब्बत मेरी खाक में मिला दिया
उमेश कुमार श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें