१ ढूँढने से मिलते नहीं साकी रफ़ीक
मुक्कद्दर में हों तो खुद ही ढूढ़ लेते हैं
२ तितलियाँ फिरने लगी सड़को पे जब से
लगता की गुलशन बन गया है शहर सारा
३ चश्में से लुढ़कते ये अश्को के दो कतरे
दिल की बात बे ज़ुबाँ कह देते करीने से
४ बद-इन्सानियत की राह भी कितनी है सुकून बख्स
चलते हैं आँख मूंद लोग लगती नहीं ठोकर
५ इस बुतनशी की सरकशी तो देखिए जनाब
सरेमहफ़िल किस कदर अंगड़ाइयां ले रही है
६ लब पे छाले आए , आए फिर फूट गये
मेरे नाले उस तलक आज भी पहुँचे नहीं
७ इस इश्क की मीना में गम की मय तो डाल
देखें ज़रा साकी कहते किसे बहकना
८ मेरे कदम दर कदम इक और भी कदम है
पर मालूम कर सका ना किसके ये कदम हैं
९ हर आश मेरी प्यास-ए-दरस लिए है
पर उनकी शख्सियत तो,है भूल जाने की
१० आता नहीं इश्क का आलिफ भी इन्हे साकी
ये हुस्न-ए-हाला हैं ज़रा दूर ही रहना
११ इस हुस्न की महफ़िल में हम आज हैं आए
देखें ज़रा हुस्न-ए-मदिरा किसे कहते
१२ खो दिया है दिल मैने जानम तेरी राहों में
चाहे तो ठुकरा देना चाहे गले लगा लेना
१३ इस कदर बेचैन ना हो ऐ मेरे मासूम दिल
बिजलियाँ गिर गिर के खुद फ़ना हो जाएँगी
उमेश कुमार श्रीवास्तव
मुक्कद्दर में हों तो खुद ही ढूढ़ लेते हैं
२ तितलियाँ फिरने लगी सड़को पे जब से
लगता की गुलशन बन गया है शहर सारा
३ चश्में से लुढ़कते ये अश्को के दो कतरे
दिल की बात बे ज़ुबाँ कह देते करीने से
४ बद-इन्सानियत की राह भी कितनी है सुकून बख्स
चलते हैं आँख मूंद लोग लगती नहीं ठोकर
५ इस बुतनशी की सरकशी तो देखिए जनाब
सरेमहफ़िल किस कदर अंगड़ाइयां ले रही है
६ लब पे छाले आए , आए फिर फूट गये
मेरे नाले उस तलक आज भी पहुँचे नहीं
७ इस इश्क की मीना में गम की मय तो डाल
देखें ज़रा साकी कहते किसे बहकना
८ मेरे कदम दर कदम इक और भी कदम है
पर मालूम कर सका ना किसके ये कदम हैं
९ हर आश मेरी प्यास-ए-दरस लिए है
पर उनकी शख्सियत तो,है भूल जाने की
१० आता नहीं इश्क का आलिफ भी इन्हे साकी
ये हुस्न-ए-हाला हैं ज़रा दूर ही रहना
११ इस हुस्न की महफ़िल में हम आज हैं आए
देखें ज़रा हुस्न-ए-मदिरा किसे कहते
१२ खो दिया है दिल मैने जानम तेरी राहों में
चाहे तो ठुकरा देना चाहे गले लगा लेना
१३ इस कदर बेचैन ना हो ऐ मेरे मासूम दिल
बिजलियाँ गिर गिर के खुद फ़ना हो जाएँगी
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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