१ शमा की नियति यही , रात दिन जलती रहे
रौशनी देती रहे , खुद को अंधेरे में रख
२-आहें भरना मेरी फ़ितरत नहीं थी
दिल लगा के तूने यह भी सिखा दिया
३-गेसुओं की महक से महका चमन ये सारा
दिल भी हुआ बेचैन यूँ लेता नहीं किनारा
४-हर पल उनकी याद में घुट-घुट के मरता रहा
मगरूर हैं वो इस कदर, ख्वाबो में भी ना आए कभी
५-न खुदा से है शिकवा न नाखुदा से शिकायत
जब कश्ती ही है टूटी, क्यूँ कर न डूब जाए
६-अश्क आँखो के ना जाने कहाँ खो गये
जी चाहता रोने को, रो नही पाते
७-कुछ तो कर अब ,ऐ परवर दिगारे आलम
जिंदगी कटती नही बिन दिदारे यार के
८-जर्द लब भी अब मेरे हो चले मयखाना
जब से उनके लब मेरे लब से छू गये
९-अब तक तो ना झुके थे आफताब के आगे
महताब सा पा तुझे सर नगूं कर लिया
१०-नज़रो की शोख तब्बस्सुम जब रुखसार पे उतरी
शर्मो हया से उनने झट परदा गिरा लिया
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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