१ चंचल शोख़ निगाहों से ना तीर चलाओ ऐ जालिम
दिल के टुकड़ों पर पग रख यूँ ना मुस्काओ ऐ जालिम
२ तकदीर में लिखा है कब तक, यूँ देखना मजबूरियाँ
इक दिन तो आएगा , जब पास होंगी दूरियाँ
३ हर ठोकरों के साथ मजबूत कर अपने इरादे
ये बता दे आज तू , गिर कर सम्हलाना कहते किसे
४ अब ज़रा रहने भी दो इन जर्द पत्तों को ही तुम
शोख कलियों से तुम्हारा दामन क्या भरा नहीं
५ बरहम-ए-जुल्फ जर्द-ए-हुस्न,कयामत की कोई निशानी है ये
मोहब्बत खुदा ने बनाई ही क्यूँ, क्या कोई कहेगा जवानी है ये
६ बा-वफ़ा न रहा अब नज़र मे तेरी
वादा किया था आने का, कर के भुला दिया
७ जालिम हुआ जमाना दुश्मन हुई खुदाई
तुम भी गर रूठी रही, तो समझो की मौत आई
८ दोजख मे जाए ये मेरी मसरूफ़ जिंदगी
मुझको तो मेरे यार का बुलावा मिल गया
९ आज मुझे ये होश कहाँ कि ह्स लूँ रो लूँ या गा लूँ
तनिक ठहर इधर तो देखो बरसों की मैं प्यास बुझा लूँ
१० शुष्क इन लबों को ताज़गी दे दो
अपने लबों से छू कर इन्हे जिंदगी दे दो
उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिल के टुकड़ों पर पग रख यूँ ना मुस्काओ ऐ जालिम
२ तकदीर में लिखा है कब तक, यूँ देखना मजबूरियाँ
इक दिन तो आएगा , जब पास होंगी दूरियाँ
३ हर ठोकरों के साथ मजबूत कर अपने इरादे
ये बता दे आज तू , गिर कर सम्हलाना कहते किसे
४ अब ज़रा रहने भी दो इन जर्द पत्तों को ही तुम
शोख कलियों से तुम्हारा दामन क्या भरा नहीं
५ बरहम-ए-जुल्फ जर्द-ए-हुस्न,कयामत की कोई निशानी है ये
मोहब्बत खुदा ने बनाई ही क्यूँ, क्या कोई कहेगा जवानी है ये
६ बा-वफ़ा न रहा अब नज़र मे तेरी
वादा किया था आने का, कर के भुला दिया
७ जालिम हुआ जमाना दुश्मन हुई खुदाई
तुम भी गर रूठी रही, तो समझो की मौत आई
८ दोजख मे जाए ये मेरी मसरूफ़ जिंदगी
मुझको तो मेरे यार का बुलावा मिल गया
९ आज मुझे ये होश कहाँ कि ह्स लूँ रो लूँ या गा लूँ
तनिक ठहर इधर तो देखो बरसों की मैं प्यास बुझा लूँ
१० शुष्क इन लबों को ताज़गी दे दो
अपने लबों से छू कर इन्हे जिंदगी दे दो
उमेश कुमार श्रीवास्तव
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